Ad

दोगुनी आय

किसान भाई खरीफ सीजन में इस तरह करें मूंग की खेती

किसान भाई खरीफ सीजन में इस तरह करें मूंग की खेती

मूँग एक प्रमुख दलहनी फसल होने की वजह से यह एक उत्तम आय का माध्यम है। साथ ही, मूँग की फसल को पोषण के मामले में काफी ज्यादा अच्छा माना जाता है। 

भारत के अंदर खेती करने के लिये तीन फसल चक्र अपनाये जाते हैं, जिसमें रबी की फसल, खरीफ की फसल और जायद की फसल शम्मिलित हैं। किसान भाइयों ने रबी फसल की कटाई कर ली है एवं खरीफ फसल के लिये खेतों की तैयारी का काम चल रहा है। 

जो भी किसान भाई खरीफ सीजन में अच्छा मुनाफा अर्जित करना चाहते हैं, वे अपने खेतों में पलेवा, बीजों का चुनाव, सिंचाई की व्यस्था और खेतों में बाड़बंदी की तैयारी कर लें। 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निर्देशानुसार यह समय मूंग की खेती करने के लिये काफी ज्यादा अनुकूल है। मूंग एक प्रमुख दलहनी फसल है, जिसकी खेती कर्नाटक, उड़ीसा, तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में की जाती है। 

प्रमुख दलहनी फसल होने की वजह मूंग की फसल एक बेहतरीन कमाई का जरिया तो है ही, साथ में पोषण के मामले में मूंग की फसल को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

मूंग की फसल हेतु खेत की तैयारी

अगर किसान इस खरीफ सीजन में मूंग की फसल लगाना चाह रहे हैं, तो वो खेतों में 2-3 बार बारिश होने पर गहरी जुताई का कार्य कर लें। इससे मृदा में छिपे कीड़े निकल जाते हैं और खरपतवार भी खत्म हो जाते हैं। 

गहरी जुताई से फसल की पैदावार बढ़ती है और स्वस्थ फसल लेने में भी सहायता मिलती है। किसान ध्यान रखें, कि गहरी जुताई करने के पश्चात खेत में पाटा चलाकर उसे एकसार कर लें। 

इसके पश्चात खेत में गोबर की खाद और आवश्यक पोषक तत्व भी मिला लें, जिससे बेहतरीन पैदावार प्राप्त हो सके।

मूंग की फसल हेतु बीजों का चयन

जून के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के प्रथम सप्ताह तक किसान खरीफ मूंग की बुवाई कर सकते हैं। बुवाई के लिये किसानों को बेहतरीन गुणवत्ता वाले उपयुक्त बीजों का ही चयन करना चाहिये, इससे मूंग की फसल में कीड़े एवं बीमारियां लगने की संभावना काफी कम रहती है। 

ये भी पढ़े: सोयाबीन, कपास, अरहर और मूंग की बुवाई में भारी गिरावट के आसार, प्रभावित होगा उत्पादन

मूंग की फसल की बुवाई

खेत में मूंग के बीज की बुवाई करने से पहले उनका बीजशोधन अवश्य करना चाहिए। बतादें कि इससे स्वस्थ और रोगमुक्त फसल लेने में विशेष सहायता मिलती है। 

मूंग के बीजों को कतारों में ही बोयें, जिससे निराई-गुड़ाई करने में काफी सुगमता रहे और खरपतवार भी आसानी से निकाले जा सकें।

मूंग की फसल में सिंचाई की व्यवस्था

हालांकि, मूंग की फसल के लिये अत्यधिक जल की आवश्यकता नहीं पड़ती है। 2 से 3 बरसातों में ही फसल को अच्छी खासी नमी मिल जाती है। परंतु, फिर भी फलियां बनने के दौरान खेतों में हल्की सिंचाई कर देनी चहिये। 

शाम के वक्त हल्की सिंचाई करने पर मिट्टी को नमी मिल जाती है। इस बात का खास ख्याल रखें कि फसल पकने के 15 दिन पहले ही सिंचाई का काम बंद कर दें।

मूंग की फसल में कीटनाशक और खरपतवार नियंत्रण

दूसरी फसलों की तरफ मूंग की फसल में भी कीट-रोग लगने की संभावना बनी रहती है। इस वजह से समय-समय पर निराई-गुड़ाई का भी कार्य करते रहें। खेतों में उगे खरपतवारों को उखाड़कर जमीन के अंदर दबा दें। साथ ही, रोगों से भी फसल की निगरानी करते रहें। 

ये भी पढ़े: मूंग की खेती में लगने वाले रोग एवं इस प्रकार से करें उनका प्रबंधन

मूंग की फसल की कटाई-गहाई

खरीफ मूंग की फसल कम समय में पकने वाली फसल है। यह सामान्य तौर पर 65-70 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है। जून-जुलाई के मध्य बोई गई फसल सिंतबर-अक्टूबर के मध्य पककर तैयार हो जाती है। 

मूंग की फलियां हरे रंग से भूरे रंग की होने लग जाऐं तो कटाई-गहाई का कार्य वक्त रहते कर लेना चाहिये।

पपीते की खेती से किसानों की हो सकती है दोगुनी आय, जानें कैसे

पपीते की खेती से किसानों की हो सकती है दोगुनी आय, जानें कैसे

अगर आप भी पपीते की खेती (papite ki kheti, papaya farming) करना चाहते हैं तो देर ना करें। आजकल व्यापक पैमाने पर पपीते की खेती की जा रही है। किसान अपने खेतों में पपीते की फसल को अधिक से अधिक लगा रहे हैं। 

इसके पीछे की वजह यह है कि यह बहुत ही कम समय में अधिक मुनाफा देने वाला फसल है। आज के इस दौर में एक साइड बिजनेस की तरह उभर रहा है।

बेहतर मुनाफे के लिए रखना होगा इन चीजों का ध्यान

अन्य फसलों के मुकाबले पपीते ( पपीता (papaya), वैज्ञानिक नाम : कॅरिका पपया ( carica papaya ) ) को उगाना आसान है, क्योंकि इस फसल को बहुत कम रखरखाव की जरूरत होती है और साथ में कम पानी की भी आवश्यकता होती है। 

एक बार जब फसल अच्छी तरह से उपज जाता है तो आपको यह बेहतर मुनाफा दे जाता है। पपीते की खेती से आप औसतन तीन लाख तक का मुनाफा 1 एकड़ जमीन से कमा सकते हैं। यह मुनाफा 5 लाख प्रति एकड़ तक भी जा सकता है। इसके लिए आपको सही समय में सही मौसम में पपीते को खेत में लगाना सुनिश्चित करना होगा।

ये भी पढ़ें: इस माह नींबू, लीची, पपीता का ऐसे रखें ध्यान 

अगर आप पपीते से बेहतर मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आपको कुछ चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। अगर आप पपीते के फसल को मार्च से मई के दौरान मार्केट में बेचना चाहते हैं तो उस समय आपको घाटे का सौदा करना पड़ेगा, क्योंकि मार्च से मई के दौरान बाजार में आम की बहुत मांग होती है 

और उस समय बाजार में अधिकतर लोग आम खरीदते हुए दिखाई देते हैं। मार्च से मई के दौरान सभी मजदूर आम तोड़ने और आम को बाजार तक पहुंचाने में व्यस्त रहते हैं। अगर आपको उस वक्त मजदूर मिलते भी हैं तो आपको अधिक भुगतान करना पड़ेगा और आपको बेहतर मुनाफा भी बाजार में नहीं मिल पाएगा। 

इसलिए यह जरूरी है कि सही समय में सही मौसम में बाजार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए पपीते की खेती को करना चाहिए, क्योंकि इसे सभी लोग नहीं खरीदते या छोटे-छोटे समूहों के द्वारा खरीदा जाता है। पपीता पोषक तत्वों से भरा बहुत ही लोकप्रिय फल है। अ

गर आप पपीते की खेती करना चाहते हैं तो इसे आप पूरे साल कर सकते हैं। यह दुनिया भर में लोकप्रिय है क्योंकि यह त्वरित रिटर्न देता है।

ये भी पढ़ें: रायपुर:पपीते की खेती कर अंकित बने सफल किसान दूसरे कृषकों को कर रहे है प्रोत्साहित

अगर ऐसे करेंगे खेती तो मिलेगा खूब लाभ

पपीते की खेती से बेहतर लाभ पाने के लिए आपको अपनी उपज का समय निर्धारित करना होगा। साथ में आपको यह ध्यान रखना होगा कि आप किस प्रकार के बीज को बो रहे हैं। आप बीज को अनेक स्रोतों से प्राप्त कर सकते हैं। 

अगर आप बेहतर क्वालिटी की बीज लेना चाहते हैं तो आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से खरीदें। अमूमन भारत के सभी राज्यों में पपीते की खेती की जाती है। कुछ ऐसे राज्य हैं जहां मौसम पपीते के अनुकूल होने के कारण पपीता वहां बहुत तेजी से बढ़ता है। 

पपीता एक उष्णकटिबंधीय फल है। इसे इसमें बहुत ज्यादा पानी की खपत नहीं है। अगर ज्यादा पानी पपीते की जड़ के पास दिख जाए तो पपीता का बर्बाद होना सुनिश्चित हो जाता है। 

मुख्य रूप से पपीता उगाने वाले राज्य केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, कर्नाटक, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और अन्य राज्य हैं। इन सभी राज्यों में अलग-अलग किस्म की पपीते की प्रजाति पाई जाती है। पपीते की खेती के लिए तापमान कम से कम 12 डिग्री होना अनिवार्य माना जाता है। 

अगर यह तापमान 12 डिग्री से नीचे चला जाता है तो पपीता उस क्षेत्र के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। उस क्षेत्र में भी आप पपीते को नहीं उपजा सकते हैं जहां जलभराव एक चिंता का विषय बना हुआ है। 

बेहतर मुनाफा कमाने के लिए आपको उचित समय उचित मौसम के अनुसार एक्सपोर्ट की राय लेकर इसकी खेती करनी चाहिए। इससे आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।

ये भी पढ़ें: पपीता की खेती ने बदली जिंदगी की राह

फल तैयार होने में लगता है इतना समय

पपीता कोई मौसम के अनुरूप उगाने वाला फल नहीं है। गर्मियों के दौरान पपीते की फलों की मांग ज्यादा होती है और उस वक्त इसका स्वाद भी बहुत ही लाजवाब होता है। सामान्य तौर पर पपीते के फलने का कोई मौसम नहीं होता है।

पपीते के पौधे को अंकुर लगने से लेकर फलने तक 8 से 9 महीने का समय लगता है और इसका पौधा लगभग 3 साल तक जीवित रहता है। अधिकांश पौधे की तुलना में पपीते को बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है।

ड्रिप सिंचाई करने के बाद प्रत्येक पौधों को लगभग 6 से 8 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है। अगर आप अपने पपीते के फल को फसल को तेजी से बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सही उर्वरक और मिट्टी की स्थिति को जानना बेहतर होगा।

स्वास्थ्य के लिए भी है लाभप्रद

यह फाइबर, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और यह जौंडिस जैसे बीमारी में रामबाण का काम करता हैं। एक मध्यम आकार के पपीते में लगभग 120 कैलोरी पाया जाता है और यह वजन घटाने में भी काफ़ी मददगार साबित होता है। 

इसमें चीनी की मात्रा कम होती जिसके कारण यह मधुमेह रोगियों के लिए काफ़ी लाभप्रद होता है। पपीता विटामिन सी जैसे कई पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है जो तनाव से मुक्त रखने में मदद करता है।

ये भी पढ़ें: अब सरकार बागवानी फसलों के लिए देगी 50% तक की सब्सिडी, जानिए संपूर्ण ब्यौरा 

भारत में पहली बार 2014 में नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन यानी राष्ट्रीय बागवानी मिशन ( NHM - National Horticulture Mission ) में पपीते को शामिल किया गया था, जिसके अच्छे परिणाम सामने आये थे। 

किसानों का पपीते की खेती करने से बेहतर मुनाफे के साथ रोजगार के भी विकल्प उभर कर सामने आ रहे हैं। भारत में पपीते की खेती एक बहुत ही लाभदायक और अपेक्षाकृत सुरक्षित कृषि व्यवसाय के तर्ज पर उभर रहा है। यह एक बहुमुखी फसल है और इसकी खेती सब्जियों, फलों और लेटेक्स के लिए की जा सकती है। 

यहां तक ​​कि इसके सूखे पत्तों का बाजार में दवा बनाने के लिए भी बहुत मांग है। अगर आपने सभी बातों का ध्यान में रखते हुए और पपीते की खेती करते हैं तो जाहिर है की आप अच्छी उपज प्राप्त कर पाएंगे और अपनी आय को दोगुनी करने में सक्षम हो पाएंगे।